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क्या 40+ वर्ष की महिलाएँ माँ बन सकती हैं?

[vc_row el_class=”cstm_container”][vc_column][vc_column_text]एक महिला का प्राकृतिक मूल है-माँ बनना। कोख में बच्चा आने से लेकर बच्चे के पालन पोषण में ही एक औरत को तृप्ति मिलती है।

लेकिन आज के बदलते युग में महिलाएँ अपने व्यवसाय, काम एवं आर्थिक स्थिति को पूर्णतया एहमियत दे रहीं हैं।

इसके रहते 40 की उम्र तक गर्भवती न होना बहुत सामान्य हो गया है। पर 40 की उम्र तक पहुँचकर क्या माँ बनना आसान या मुमकिन है?[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row][vc_row el_class=”cstm_container”][vc_column][vc_column_text][wbc_heading title=”गर्भपात विलंब के कारण”][vc_column_text]आज के आधुनिक युग में आदमी और औरत दोनो ही पारिवारिक एवं वित्तीय स्थिति का संतुलन कंधे-से-कंधा मिलाकर कर रहें हैं। इसके चलते परिवार नियोजन का फैसला कुछ देर के एिल विलंबित कर दिया जाता है। निम्न कुछ कारण है जिनके रहते औरतों को गर्भपात को स्थगित करना पड़ता है-[/vc_column_text][vc_column_text]आज महिला भी अपने केरियर या व्यवसाय को पूरी तरह आगे बढ़ाना चाहती है। केरियर में वृद्धि ही मुख्य कारण है कि वह छोटी उम्र में बच्चा नहीं कर रहीं।[/vc_column_text][vc_column_text]यदि किसी की एकलौती संतान अथवा एकलौते पुत्र की आकस्मिक मृत्यु हो जाए और पति यदि 50 वर्ष के करीब और माँ यदि 40 वर्ष की हो तो दूसरा बच्चा प्लैन करना असंभव लगता है।[/vc_column_text][vc_column_text]आज मीडिया में प्रजनन की सहुलयित, यानि ART (Assisted Reproductive Technologies) की प्रचार इतनी ज़्यादा है कि कुछ दंपति छोटी उम्र में बच्चा पैदा करने को एहमियत ही नहीं देते।[/vc_column_text][vc_column_text]अगर किसी का तलाक हो और पुनः जीवन व्यतीत करने के लिए पुनर्विवाह के बारे में सोचे, 40 की उम्र तक पहुँचना बहुत आम बात है। ऐसे में बच्चे पैदा करना विलंबित होना मामूली बात है।
इन कारणों अथवा अन्य किसी भी कारणों के चलते विलंबित गर्भपात बांझपन की ओर चलता है। 40 की उम्र तक बांझपन एवं नपुनसकता की संभावना बढ़ जाती है।[/vc_column_text][vc_column_text]औरतों में 40 वर्ष की उम्र तक प्रजनन झूमता में गिराव आने लगती है। इसके निम्नलिखित में से कोई भी कारण हो सकते हैं
1. कम मात्रा में या अच्छे फर्टटाइल अंडे न बनना।
2. ओव्यूलेशन न होना
3. कुछ अदंरूनी बीमारियाँ जैसे फाईब्राइड, एंडोमिट्रीओसिस अथवा
4. ओव्यूलेशन ठीक से न होना
5. पुरुषों में करीब 40 की उम्र के पश्चात शारीरिक बदलाव आते है जिससे उनका पिता बनना मुश्किल हो जाता है। यह न केवल शारीरिक यद्यपि मानसिक तनाव एवं डिप्रेशन का मुख्य कारण है।[/vc_column_text][vc_column_text]यौन इच्छाओं में प्रवृत्ति टेस्टिकल में दर्द या सूजना, शुक्राणु उपजाऊ न होना इनफटिलिटी के लक्षण है। महिलाओं में मुख्यतः अनियमित मासिक धर्म, पीड़ायुक्त मासिक धर्म, मासिक धर्म न आना या हार्मोन असंतुलन 40 वर्ष के बाद आपत्तिजनक है एवं इनफर्टिलिटी के लक्षण हैं। आज के इस युग में उम्र एक ऐसा कारक है जो महिला एवं पुरुष दोनों में इंफर्टिलिटि का मुख्य कारण है।

[/vc_column_text][vc_column_text]आज के दौर में 40+ वर्ष की महिलाओं का इनफर्टिलिटी से जुड़े विषयों पर इलाज की मांग बढ़ रही है। यह न सिर्फ भारत में, यद्यपि पूरे विश्व में इनफर्टिलिटी से झूझती महिलाओं की संख्या बढ़ रही है।
डा. शिवानी भुटानी, ईवा अस्पताल, की मुख्य फर्टिलिटी डाक्टर है। इनका कहना है कि केवल 2008 से 2016 इनफर्टिलिटी के मरीज़ों में 3.23 प्रतिशत की बढ़ौतरी रही है। डा. शिवानी, पंजाब की श्रेष्ठ इनफर्टिलिटी जाँच डाक्अर कहती है कि इन 5 कारकों पर निर्धारित है इनफटिलिटी के इलाजः-

1. ओवरियन सिसर्व
2. सिमेन (वीर्य) प्रोफाइल
3. टयूबल धैर्य एवं पैल्विक पैैथोलाॅजी
4. लोगों की स्वीकार्यता एवं सामथ्र्य[/vc_column_text][vc_column_text](1) अंडोत्सर्ग अधिष्ठापन – ओवयुलेशन इंडक्शन
(2) अनुक्रमिक अस्थिमृदुता एवं प्रोजेस्टेरोन, यानि अनुक्रमिक एस्टेजेरोन एवं प्रोजेस्टेरोन
(3) आई यु आई (IUI)
(4) दत्तक ग्रहण अथवा अंडोपशन
(5) ART असिसटिड रिपरोडक्त्टिब टकनीक[/vc_column_text][vc_column_text]1. (IUI) (पति अथवा दाता शुक्राणु से)
2. IVF/ICSI (आॅटोलागस अंडे या दाता अंडेे)
3. IVF (दाता भू्रप के साथ)
4. IVF (सरोगेसी)[/vc_column_text][vc_column_text]एक जाँच के दौरान (2008 से सितंबर 2016 तक) यह नतीजे निर्धारित किए गए जिनसे यह पता चलता है कि 40+उम्र के लोगों में इनफर्टिलिटी मैेनेजमेंट से कितना फायदा हुआ। ओवयुलेशन इडंक्शन से लगभग 2.99 प्रतिशत वृद्धि, अनुक्रमिक एस्टेजेरोन एवं प्रोजेस्टेरोन (3.95%), IUI (1.57%), IVF (महिला के अपने अंडे से 7.25%, IVF  दाता के अंडों से 20.65% दाता एम्बे्रयो से 12.77%  और सरोगेसी से 14.28%  इंफर्टिलिटी मैनेजमेंट में वृद्धि हुई है।[/vc_column_text][vc_column_text]डा. शिवानी IVF  तकनीक को सर्वोत्तम मानती हैं।
IVF(इन विट्रो फटिलाइजेशन) से गर्भधारण की संभावना 30%-45% होती है। सेहतमंद भू्रण का पता लगाने के लिए नई स्क्रीनिंग विधि का प्रयोग किया जा रहा है जिससे 60 फीसदी ज़्यादा सफलता प्राप्त हो रही है। आज उम्र की बाधा को तोड़ते हुई 40+वर्ष की महिलाएँ अब गर्भपात एवं माँ बनने का सपना पूरा कर रहीं हैं।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]

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