बच्चेदानी का मुख यानी गर्भाशय ग्रीवा का स्वस्थ होना एक महिला के स्वास्थ्य और प्रजनन क्षमता दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। परंतु ज्यादातर महिलाओं में इसकी जानकारी बहुत कम है या ना के बराबर है। इसीलिए ग्रीवा के स्वास्थ्य और देखभाल को लेकर कई मिथक और मनगढ़ंत बातें जुड़ गई हैं।
इस लेख के द्वारा हम गर्भाशय ग्रीवा के महत्व, उसकी देखभाल से जुड़े यथार्थ और कल्पित तथ्यों की असलियत को जानेंगे। परंतु इसके लिए पहले हमें ग्रीवा की संरचना को समझना होगा।
ग्रीवा(सर्विक्स) क्या होती है?
ग्रीवा वह मार्ग या दरवाजा है जो योनि को बच्चेदानी से जोड़ता है। या यूं कहिए कि सर्विक्स एक लघु नली है जो योनि में खुलती है। यह गोल, मांसल, बहुत छोटी और बंद होंठों के आकार की होती है, जिसके केंद्र में एक गड्ढा होता है। इसका सूक्ष्म द्वार केवल मासिक निर्वहन और शुक्राणु को ही गुजरने देता है। एक प्रकार से यह गर्भाशय की सुरक्षा करती है और किसी भी संक्रमण और बाहरी सामग्री (जैसे टैम्पोन) को गर्भाशय में प्रवेश नहीं करने देती।
गर्भावस्था के दौरान यह शिशु को संक्रमणों से सुरक्षित रखने के लिए एक प्लग का काम करती है।
सर्विक्स के परीक्षण से प्रजनन क्षमता का पता चलता है
मिथक: यह यथार्थ नहीं है। क्लीनिक में ग्रीवा की जांच करने पर डॉक्टर केवल यह बता सकते हैं कि आप मासिक चक्र(मेंस्ट्रूअल साइकिल) के किस चरण में हैं। चूंकि मेंस्ट्रूअल साइकिल के दौरान हार्मोनों की मात्रा में परिवर्तन होता रहता है, तो सर्विक्स में मौजूद म्यूकस में भी बदलाव आता है। जब महिलाएं डिंबोत्सर्जन यानी ओव्यूलेशन करती हैं, तो म्यूकस पतला और चिपचिपा होता है- सबसे उपजाऊ अवस्था। मासिक स्राव खत्म होने के बाद यह क्रीम की तरह गाढ़ा और सफेद हो जाता है।
तो ग्रीवा की जांच से आप यह अवश्य पता लगा सकते हैं कि महीने के किन दिनों में गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक है।
परंतु इससे महिला की जन्म देने की क्षमता का फैसला नहीं हो जाता, क्योंकि प्रजनन क्षमता केवल मासिक धर्म चक्र पर ही निर्भर नहीं करती, बल्कि कई अन्य कारकों जैसे एंडोमेट्रियल स्वास्थ्य, अंडे के भंडार और फैलोपियन ट्यूब आदि कारकों पर भी निर्भर करती है।
सरवाइकल कैंसर वंशानुगत होता है
मिथक: महिलाओं पर किए गए कई शोध कार्य से पता चलता है कि स्तन और डिम्बग्रंथि(ओवरी) के कैंसर वंशानुगत होते हैं। वे अगली पीढ़ी तक जा सकते हैं, लेकिन सर्वाइकल कैंसर नहीं। इसका कारण सीधा-सा है, क्योंकि सर्वाइकल कैंसर एक वायरल संक्रमण से होता है ना की कोशिकाओं की गड़बड़ी के कारण। इस वायरस का नाम है एचपीवी( HPV), ह्यूमन पैपिलोमा वायरस।
HPV की वैक्सीन उपलब्ध है, जिससे इस कैंसर से बचाव किया जा सकता है। 26 वर्ष की आयु तक बालिकाओं को एचपीवी वैक्सीन का टीकाकरण किया जाता है। यदि महिला ने २६ की उम्र पार कर ली है, तो वह सुरक्षा स्वरुप नियमित रूप से पैप स्मीयर परीक्षण करवा सकती है।
बांझपन विशेषज्ञ डॉ शिवानी हर महिला को साल में एक बार पेट टेस्ट करने की सलाह देती हैं। ईवा हॉस्पिटल में पैप टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है।
संभोग करने से सरविक्स घायल हो सकता है
यथार्थ: ऐसा संभव है, परंतु अत्यंत दुर्लभ मामलों में। यह पूर्णतया पुरुष और महिला की शारीरिक संरचना पर निर्भर करता है। यदि पुरुष का लिंग बहुत बड़ा हो और महिला का ग्रीवा मार्ग छोटा हो (लंबाई के संदर्भ में), तो सेक्स के दौरान उग्र जोर ग्रीवा को घायल कर सकता है। औरत को दर्द महसूस होगा और तेज चुभने वाली अनुभूति होगी जो बनी रहेगी।
लुधियाना की एमडी डॉ. शिवानी भूटानी इस दर्द को हल्के में न लेने की सलाह देती हैं। वह बताती है कि कुछ मामलों में न केवल गर्भाशय ग्रीवा को चोट लग सकती है, बल्कि इसके कुछ ऊतक भी फट सकते हैं। आपको शीघ्र ही महिला रोग विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए और साथ ही भविष्य में इसे रोकने के लिए उपाय भी।
सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सबसे आम कैंसर है
मिथक: ग्रीवा का कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर नहीं है। ज्यादातर महिलाओं में स्तन का कैंसर व्यापक है। हालांकि सर्वाइकल कैंसर की उच्च मृत्यु दर स्तन कैंसर से ज्यादा है। इसका मुख्य कारण है जागरूकता की कमी। वह इसलिए क्योंकि जागरूकता की कमी के कारण इसका पहले पता नहीं चल पाता। प्रारंभिक अवस्थाओं में उपचार संभव है, और मृत्यु दर केवल 9 प्रतिशत है।
महिलाओं को पैप स्मीयर और एचपीवी (मानव पेपिलोमावायरस) परीक्षण वर्ष में एक बार स्त्री रोग विशेषज्ञ से करवाना चाहिए। एचपीवी वैक्सीन भी उपलब्ध है, जो स्वयं को प्रतिरक्षित करने का एक बेहतर तरीका है। अपनी ग्रीवा के स्वास्थ्य का ख्याल रखें और समय-समय पर जांच करवाते रहें।
गर्भनिरोधक ग्रीवा को संक्रमण से बचाते हैं
यथार्थ: गर्भनिरोधक या कंडोम का उपयोग आपके गर्भाशय ग्रीवा के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। यह आपको अवांछित गर्भधारण के साथ-साथ यौन संचारित रोगों से भी बचाता है। आजकल पुरुष और महिला दोनों के लिए कंडोम आते हैं। महिला कंडोम बेहतर सुरक्षा और कवच प्रदान करते हैं। वे वायरल और बैक्टीरियल दोनों संक्रमणों को योनि, गर्भाशय, और ग्रीवा में प्रवेश करने से रोकते हैं।
अगर किसी महिला के एक से अधिक पुरुषों से यौन संबंध है तो यह और भी जरूरी हो जाता है। ह्यूमन पेपिलोमावायरस और क्लैमाइडिया जैसे संक्रमण बहुत घातक हैं और इससे कैंसर भी हो सकता है। हम यह तो नहीं कह सकते कि कंडोम १०० प्रतिशत प्रभावी हैं, लेकिन वे महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रदान करते हैं।
सर्वाइकल कैंसर के इलाज के बाद मैं मां नहीं बन सकती
मिथक: चिकित्सा तकनीकों और आईवीएफ में प्रगति के चलते आपके पास बहुत सारे विकल्प हैं, जिनके द्वारा आप गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के उपचार के बाद भी अपनी प्रजनन क्षमता को संरक्षित कर सकते हैं।
आपके स्वयं के जैविक शिशु को पाने के लिए विभिन्न प्रक्रिया की जा सकती हैं। उपचार शुरू करने से पहले ही आपको अपने डॉक्टर के साथ सभी विकल्पों पर चर्चा करनी होगी। वे आपकी विशेष स्थिति के अनुसार बेहतर सलाह दे सकते हैं।
आमतौर पर कैंसर के उपचार में सर्जरी, कीमोथेरेपी, विकिरण और / या हिस्टेरेक्टॉमी शामिल होती है।
यदि ग्रीवा को हटा दिया जाता है और गर्भाशय बरकरार रहता है, तो महिला गर्भधारण कर सकती है और ऑपरेशन के माध्यम से प्रसव करा सकती है।
कीमोथेरेपी या विकिरण( रेडिएशन) से अंडों और हार्मोन को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में आप इलाज शुरू करने से पहले अपने अंडे, या फिर भ्रूण को भी फ्रीज करने का विकल्प चुन सकती हैं। बाद में उनका उपयोग आप स्वयं गर्भवती होने के लिए या सरोगेट के माध्यम से कर सकते हैं। आईवीएफ के साथ यह संभव है।
अंतिम शब्द
गर्भाशय ग्रीवा एक महिला के प्रजनन शरीर रचना विज्ञान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे नियमित रूप से पैप स्मीयर परीक्षणों और स्त्री रोग विशेषज्ञ के संपर्क में रहने से स्वस्थ रखा जा सकता है।