[vc_row el_class=”cstm_container”][vc_column][vc_column_text]अत्याधुनिक गैजेट एवं मोबाइल फोन वर्तमान जीवन की अपरिहार्य अंश है। क्या आप अपने मोबाइल फोन, व्हाट्सएप, ई-मेल या सोशल मीडिया की जांच आधे दिन से अधिक समय तक किए बिना रहने के बारे में सोच सकते हैं? असंभव है ना? लेकिन क्या क्या आपने सोचा है की इसका असर आपके गर्दन ऊपर कैसे पड़ सकता है ? वैज्ञानिकों ने ‘टेक्स्ट नेक’ नामक एक शब्द गढ़ा है, जिसका मतलब है लगातार सर झुका कर रहने के कारण गर्दन में होनेवाली पीड़ा ।
सामान्य परिस्थितियों में, एक स्वस्थ रीढ़ ,आसानी से अपने सिर का ५ कि.ग्रा. वजन उठा सकती है। जब आप गर्दन को लंबे समय तक झुकाते हैं, तो सर्वाइकल स्पाइन पर यह बोझ,उसे चोट पहुंचाने और वेदना का कारण बन सकती है।
पंजाब के उतकृष्ट ईवा अस्पताल के प्रतिष्ठित ऑर्थोपेडिक डॉक्टर तनवीर भूटानी का कहना है,कि आप अपनी जीवनशैली में मोबाइल फोन का इस्तेमाल को पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकते हैं, लेकिन कम इस्तेमाल और कुछ व्यायामों की मदद से गर्दन एवं रीढ़ की हड्डी की बड़ी बीमारी, से बचा सकता है।
टेक्स्ट नेक के लक्षण क्या हैं?
मोबाइल फोन के अतिप्रयोग के कारण गर्दन में दर्द, टेक्स्ट नेक का सर्वप्रथम और सबसे महत्वपूर्ण लक्षण है। साथ ही गंभीर पीठ दर्द के,ऊपरी गर्दन में मोच और कम दक्षता जैसे लक्षण भी दिखाई देते है। अधिकतम समय स्क्रीन पर नीचे की ओर देखते रहने से ग्रीवा एवं रीढ़ को गंभीर और कुछ मामलों में अपूरणीय क्षति होती है।अत्यधिक उपयोग के निम्नलिखित लक्षण हैं ।
1. ऊपरी पीठ को नुकसान:-
“टेक्स्टिंग सिंड्रोम” से पीड़ित, सोकर जागने पर हल्का या तेज पीठ दर्द एवं पीठ में जकड़न के कारण अपने दैनिक काम करने में असमर्थता की शिकायत करते हैं।
डॉ.तनवीर भूटानी का कहना है कि इस प्रकार की सदियों पुरानी “ऑर्थो-इंज्यूरि” तेज रफ्तार पकड़ रही है और नई पीढ़ी को नुकसान पहुंचा रही है।
2. कंधे के जोड़ को नुकसान:-
कंधे का जोड़ पर प्रभाव, इससे कंधे में गंभीर दर्द और अकड़न होती है और कंधे की मांसपेशियों में ऐंठन का अनुभव कर सकते हैं।अंततः वस्तुओं को उठाने या नियमित कार्यों को करने की क्षमता ह्रास होने लगती है।
3. न्यूरोलॉजिकल और मनोवैज्ञानिक क्षति:-
वैज्ञानिकों ने अनुसार लगातार ग्रीवा दर्द के साथ, न्यूरोलॉजिकल लक्षणों की संभावना भी होती है। मानसिक स्वास्थ्य की क्षति, तेजी से प्रतिक्रिया करने के लिए मस्तिष्क की अक्षमता, एकाग्रता की कमी, दक्षता के निम्नस्तर और अवसाद, फोन पर लगातार ‘पिंग’ के कारण युवा और वयस्कों द्वारा सामना किए जाने वाले कुछ मनोवैज्ञानिक मुद्दे हैं।
4. घातक स्वास्थ्य मुद्दे :-
“टेक्स्ट नेक” का नुकसान, धीमा लेकिन एक भयानक प्रभाव है। अत्यधिक मोबाइल उपयोग से गतिहीन जीवनशैली के कारण आपको रक्तचाप और हृदय रोगों जैसी अन्य बीमारियों के शरण में लाती है।
मोबाइल फ़ोनों के कारण गर्दन के दर्द की सावधानियां या उपाय क्या हैं?
डॉ.भूटानी,के अनुसार अनुमानित 80% मोबाइल उपयोगकर्ताओं को “पीठ व गर्दन सिंड्रोम” से पीड़ित बताया गया है। इससे बचने के लिए हम क्या करें और क्या नहीं करें?
नियमित स्ट्रेचिंग :-नियमित अंतराल पर अलार्म सेट कर सुनिश्चित करें की अपने केबिन में,अपने कार्यालय की कुर्सी जैसे न्यूनतम संसाधनों का उपयोग करके स्ट्रेचिंग अभ्यास करेंगे। यह अंगों को निरंतर रक्त की आपूर्ति में मदद करता है और गर्दन को ताकत और जीवन शक्ति हासिल करने में मदद करता है।
अल्प विराम :- उठें और एक अल्प विराम लें ।मोबाइल फ़ोन हो या लैपटॉप आपको गैजेट से बार-बार ब्रेक लेना चाहिए।
स्क्रीन देखने का स्तर :- फोन या लैपटॉप स्क्रीन को आंखों के स्तर पर ही रखें, ताकि गर्दन अधिक देर तक न झुके।
अन्ततः :-
मोबाइल फोन के बढ़ते उपयोग के कारण यदि आप लगातार पीठ दर्द, कंधे में दर्द और गर्दन की मांसपेशियों में दर्द का सामना कर रहे हैं, तो डॉ.तनवीर भूटानी से परामर्श करें, और इस तरह की समस्या को बढ़ने से पहले ठीक करवाएं।[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]