ICSI क्या है?
आई सी एस आई (ICSI) का अर्थ है इंट्रासाइटोप्लास्मिक शुक्राणु इंजेक्शन।
इंट्रासाइटोप्लाज्मिक शुक्राणु इंजेक्शन (ICSI) प्रक्रिया निःसंतान दम्पत्तियों के लिए एक उपचार है, जिस से उन्हें औलाद का सुख मिल सकता है।
जब फर्टिलाइजेशन की प्रक्रिया में दिक्कत आ रही हो तो विशेषज्ञों द्वारा ICSI आईवीएफ की प्रक्रिया को अपनाया जाता है।
बांझपन का सामना कर रहे जोड़ो में अगर पुरुष में शुक्राणुओं की संख्या, शुक्राणुओं की गतिशीलता में कमी है या फिर स्पर्म की खराब क्वालिटी है तो ICSI आईवीएफ की सलाह दी जाती है।
ICSI आईवीएफ एवं प्रजनन समस्याएं
- शुक्राणुओं की गुणवत्ता की समस्या संबंधी कोई परेशानी होने के कारण बांझपन। (Low Quality Sperm)
- पुरुष साथी द्वारा कृत्रिम गर्भाधान IUI या IVF करने के दौरान बहुत कम शुक्राणु पैदा करना। (Low Sperm Count)
- शुक्राणु की गति सामान्य तरीके से न होना। (Low Sperm Motility)
- शुक्राणु के अंडे से जुड़ने में किसी भी तरह की अड़चन होना।
- किसी वजह से शुक्राणु के बाहर निकलने में रूकावट होना।
- शुक्राणुओं के आकार में समस्या। (Poor Sperm Morphology)
- सीमेन शुक्र में शुक्राणुओं की उपस्थिति न होना। (Azoospermia)
- आईवीएफ की कई साइकिल हो जाने के बाद भी एग फर्टिलाइज न होना
- इन विट्रो में परिपक्व अंडे का उपयोग।
- पहले से फ्रीज अंडे का उपयोग किए जाना।
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ICSI की तकनीक एवं प्रक्रिया
ICSI आईवीएफ के करने के विभिन्न चरण होते हैं-
आईसीएसआई प्रक्रिया में पहला कदम महिला के लिए डिम्बग्रंथि की उत्तेजना है जिसके लिए महिला को फॉलिकल्स के विकास को प्रोत्साहित करने वाली दवाएँ दी जाती हैं, ताकि डॉक्टर कई अंडों को काट सकें।
अल्ट्रासाउंड के उपयोग से अंडाशय को देख सकते हैं और एक सुई के साथ अंडे एकत्र कर सकते हैं। सफलता की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक अंडे इच्छित होते हैं।
तकनीशियन द्वारा अंडे तब तक सेये जाते हैं, जब तक एक या अधिक परिपक्व हो जाएं।
पुरुष का सीमेन यानि वीर्य ले कर उसे आगे जाँच के लिए भेजा जाता है, जिसके दौरान सीमेन को अच्छी तरह से मशीन के ज़रिए धोया जाता है।
इसके पचशात सक्रिय व असक्रिय शुक्राणुओं को अलग किया है। फिर सक्रिय शुक्राणुओं में से एक सबसे तन्दरुस्त शुक्राणु का चयन करके, आगे की प्रक्रिया की शुरुआत होती है।
पेट्री डिश में महिला के निकाले हुए अंडे में बेहद महीन सुई वाले इंजेक्शन की मदद से चयन किए गए शुक्राणु को इंजेक्ट करते हैं।
इस प्रक्रिया के उपरन्त अंडे को निगरानी में रख के भ्रूण तैयार होने तक का इंतजार किया जाता है, जिसमें लगभग 3 दिन का समय लगता है।
इसे फिर एक विशेष लचकदार नली की तरह दिखते कैथिटर (Catheter) की मदद से महिला के गर्भाशय के भीतर रखा जाता है। आई सी एस आई आई वी एफ की प्रक्रिया पूरी होने में 2.5 से 3 सप्ताह लग जाते हैं
इसके उपरन्त महिला का गर्भधारण सुनिश्चित
करने के लिए महिला का ब्लड टेस्ट किया जाता है।
संक्षिप्त विवरण
पुरुष बांझपन से जुड़ी किसी भी समस्या होने पर आई सी एस आई (ICSI) के ज़रिए उस व्यक्ति को पिता बनने का सुख मिल सकता है। अधिक जानकारी के लिए EVA Hospital में बांझपन से जुड़ी विभिन्न समस्याओं की माहिर Dr Shivani से सम्पर्क करें।